कुंडली मिलन का उद्देश्य होता है कि विवाह के लिए अनुकूलता और समरसता सुनिश्चित की जाए ताकि जीवन साथी के बीच संबंधों में सुख और समृद्धि हो सके। कुंडली मिलान में वर और वधू की कुंडली में बैठे हुए चंद्रमा से ग्रहों की स्थितियों का मिलान किया जाता है। जिनकी संख्या 36 होती है और अगर जन्म कुंडली में 18 या 18 से अधिक गुना की संख्या आ जाती है तो हम ऐसा कह देते हैं कि यह कुंडली विवाह करने योग्य है, लेकिन साथ में हमें कुंडली में उपस्थित 200 को भी देखना पड़ता है जैसे मंगल दोष, शनि दोष, पितृ दोष, अंगारक दोष क्योंकि अगर यह कुंडली पर हो और इनका विवाह के पहले विद्वत शांति न कराई जाए तो यह वैवाहिक जीवन को अवस्थित कर देते हैं। इसलिए कुंडली मिलान बहुत आवश्यक हो जाता है।
हाथ से निर्मित जन्म कुंडली बनवाने के लिए उसे जातक का जन्म समय तारीख महीना और जन्म स्थान की आवश्यकता होती है। ऊपर दी हुई जानकारी जितनी सही होती है कुंडली का फलादेश उतना ही सटीक बैठता है। अगर जन्म कुंडली में किसी प्रकार का कोई दोष पाया जाता है तो उसका निवारण भी लिखा जाता है। निवारण अगर समय से कर लिया जाए तो जीवन में आने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है। इसलिए कुंडली का निर्माण बहुत आवश्यक होता है और यह हमें करवाना ही चाहिए।
मुहूर्त एक निश्चित समय को कहा जाता है। यह लगभग 48 मिनट का होता है और यह निश्चित समय प्रतिदिन नहीं होता। यह कभी-कभी प्राप्त होता है। आसान भाषा में कह सकते हैं कि शुभ मुहूर्त में प्रारंभ किया गया कार्य हमेशा अच्छा ही प्रदान करता है। इसलिए हमारे ऋषि मुनियों ने मुहूर्त की बात बार-बार की और किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाए इसके लिए उन्होंने एक निश्चित समय को याद किया जिससे हम मुहूर्त कहते हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, आपकी कुंडली (कुंडली) के सभी नौ ग्रह जीवन के पाठ्यक्रम को प्रभावित करते हैं अर्थात विवाह, करियर, स्वास्थ्य, वित्त, ग्रहों की चाल, योग और दोष बनाते है। इन नवग्रह दोषों के कारण, लोगों को अपने जीवन में विभिन्न बाधाओं और बाधाओं का सामना करना पड़ता है. यह नवग्रह पूजा, मंत्र,जाप और यज्ञ नवग्रह के हानिकारक प्रभावों को कम करती है। यदि केवल नवग्रह की पूजा ही विधिपूर्वक कर ली जाए जीवन में आने वाली कई प्रकार की बढ़ाएं जैसे खराब स्वास्थ, मानसिक तनाव, उन्नति में बढ़ा आदि समस्याओं से राहत मिलती है।
ज्योतिष शास्त्र में हस्त रेखा को बहुत बड़ा महत्व दिया गया है। माना जाता है कि हस्तरेखा की सहायता से किसी व्यक्ति के भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है। हस्तरेखा ज्योतिष में किसी व्यक्ति के हाथ के आकार, हथेली की लकीर आदि का अध्ययन करके उस व्यक्ति के भविष्य की जानकारी का पता लगाया जाता है। हस्त रेखा को भारतीय ज्योतिष का अभिन्न अंग माना गया है। प्राचीन काल से ही ज्योतिष शास्त्र का अपना ही महत्व रहा है। जिस व्यक्ति को रेखाओ का ज्ञान होता है वह व्यक्ति हस्त रेखा की सहायता से किसी भी व्यक्ति के भूत, भविष्य तथा वर्तमान में घटने वाली घटनाओं का अनुमान लगा सकता है।